December 14, 2025
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“एक का जन्मदिन, एक का मरण — दोनों के कारण बने राम और नाथूराम, युवाओं में चर्चा का केंद्र”

 दोनों के कारण बने राम और नाथूराम, युवाओं में चर्चा का केंद्र”


हरिद्वार, 2 अक्टूबर 2025 : आज का दिन इतिहास, धर्म और युवा चेतना के दृष्टिकोण से बेहद खास बन गया है। गांधी जयंती मनाई जा रही है और विजयादशमी पर राम ने रावण को तीर से मारा, वहीं इतिहास में नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को गोली से उड़ाया।

सोशल मीडिया और युवाओं के बीच यह दिन नई बहस और विचारधारा का केंद्र बन गया है। युवा वर्ग गांधी के निर्णयों, उनके पक्षपात और बंटवारे के समय हिंदुओं पर हुए अत्याचारों से असंतोष जता रहा है। कई लोग कह रहे हैं कि “नाथूराम ने गांधी पर गोली चलाकर धर्म और हिंदू समाज की रक्षा की, जैसे श्रीराम ने रावण पर तीर चलाकर धर्म की स्थापना की।”

इतिहास और सामाजिक विश्लेषण बताते हैं कि गांधी ने अपने निजी स्वार्थ और राजनीतिक चक्रव्यूह के कारण कई फैसले ऐसे लिए, जिससे देश विभाजित हुआ और हिंदू समाज को भारी नुकसान हुआ। बंटवारे में लगभग 7 लाख से अधिक हिंदू मारे गए, और कई महापुरुष जैसे सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और राजगुरु गांधी की चुप्पी और पक्षपात के कारण बच नहीं सके।

रावण और गांधी की तुलना:

  • राम ने रावण पर धर्म और न्याय के तीर चलाए। रावण के गुणों के बावजूद उसकी कुछ गलतियों ने उसे बुराई के रूप में खड़ा किया।
  • महात्मा गांधी में अच्छाई थी, लेकिन उनके कुछ निर्णय और कार्यों ने उन्हें आज युवा पीढ़ी की दृष्टि में बुराई के कटघरे में खड़ा कर दिया।

नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे

नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे

नाथूराम गोडसे के अंतिम बयान के मुख्य कारण:

  • गांधीजी की नीतियों और कार्यों से लाखों हिंदुओं की जिंदगी तबाह हुई।
  • गांधीजी देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार थे।
  • मुसलमान तुष्टिकरण के कारण हिंदू समाज को नुकसान पहुँचा।
  • कानूनी प्रक्रिया पर अविश्वास और देश की रक्षा के लिए उन्होंने यह कदम उठाया।
  • यह उनके लिए नैतिक और धार्मिक कर्तव्य था।

आज के दौर में गोडसे के समर्थन में कई फिल्में और डॉक्यूमेंट्री बन चुकी हैं, जिन्हें युवा वर्ग देख रहा है।

धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से:

  • राम जी ने रावण को तीर मारकर धर्म की नई स्थापना की, और आज भी लोग राम की जयकार कर रहे हैं।
  • गांधी पर हुई गोली और उसके बाद की बहस युवा पीढ़ी में हिंदुत्व और धर्मनिष्ठ विचारधारा के नए दृष्टिकोण को जन्म दे रही है।

महामंडलेश्वर प्रबोधानंद महाराज का बयान:
“मोहनदास करमचंद गांधी अहिंसावादी थे और उन्होंने अहिंसा पर चलते हुए देश को एक अलग मुकाम दिया। अहिंसा परमो धर्म सही है, लेकिन जब प्राण और धर्म पर आ जाए तो ‘धर्मे रक्षे रक्षित’ के सिद्धांत पर चलना चाहिए। गांधी की विचारधारा ने हिंदुत्व को अपंग बना दिया। गांधी कहते थे ‘दूसरा गाल आगे करो’, यह गलत था, जिसके कारण हिंदुओं को भारी नुकसान हुआ। अब का दौर यह है कि हिंदु ईंट का जवाब पत्थर से दे तभी हिंदू सुरक्षित रहेगा और अखंड भारत की नींव पक्की होगी।

राजनीतिक परिप्रेक्ष्य:
मौजूदा कांग्रेस की स्थिति भी युवाओं के बीच चर्चा का केंद्र है। उनका कहना है कि यह कर्मगति और ईश्वरीय प्रकोप का परिणाम है। पुरखों के किए गए गलत निर्णय और कांग्रेस की नीतियों के कारण आज पार्टी नेस्तोनाबूद जैसी स्थिति में पहुँच गई। जबकि मौजूदा सरकार की विचारधारा युवाओं को प्रभावित कर रही है, कांग्रेस के कई निर्णय और कथनी-करनी का अंतर आज सवालों के घेरे में है।

आज का दिन दर्शाता है कि कर्मगति का सिद्धांत, इतिहास के फैसले और धार्मिक न्याय समाज और युवा चेतना पर सीधा प्रभाव डालते हैं। लोक और धार्मिक दृष्टि से यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत, धर्म की रक्षा और नई सोच का प्रतीक बन चुका है।

विशेषज्ञों का कहना है कि आज का दिन हमें यह याद दिलाता है कि इतिहास में हुए कर्म और उनके परिणाम समय के साथ नई विचारधारा और राजनीतिक चेतना को आकार देते हैं।

“आज का दिन हमें दिखाता है कि धर्म, न्याय और कर्मगति का सिद्धांत हमेशा चलता रहता है, और युवा पीढ़ी इन्हें अपनी सोच और दृष्टिकोण में अपनाकर इतिहास का नया विश्लेषण कर रही है।”

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