हरिद्वार में गंगा को जीवित दर्जा दिलाने की तैयारी बैठक — मीडिया की चुप्पी पर उठे सवाल, वरिष्ठ महामंडलेश्वर प्रबोधानंद गिरी ने दिया समर्थन

हरिद्वार, देवभूमि हरिद्वार के मातृ सदन आश्रम में “माँ गंगा जी को जीवित इंसानी दर्जा दिलवाने की तैयारी बैठक” आयोजित हुई। इस महत्वपूर्ण विमर्श में गंगा की अविरलता, निर्मलता और संरक्षण पर गहन विचार किया गया।
बैठक में यह स्वर प्रमुख रहा कि गंगा को केवल राष्ट्रीय नदी का दर्जा देना पर्याप्त नहीं है। जब तक गंगा को जीवित इकाई या जीवित इंसानी माँ का दर्जा नहीं मिलेगा, तब तक उसके शोषण और विनाश को रोका नहीं जा सकेगा।
प्रतिभागियों ने स्पष्ट कहा कि गंगा की बाढ़भूमि पर अतिक्रमण, बाँधों से रोके गए प्रवाह, खनन और प्रदूषण गंगा के अस्तित्व पर सीधा हमला है। यह भी तय किया गया कि गंगा की रक्षा के लिए न्यायालय में संघर्ष को आगे बढ़ाया जाएगा और सरकार से नीतिगत स्तर पर गंगा को उसका वास्तविक सम्मान दिलाने की मांग होगी।

मीडिया की खामोशी पर उठे सवाल
इतने बड़े और ऐतिहासिक महत्व के आयोजन के बावजूद न स्थानीय और न ही राष्ट्रीय मीडिया ने इस खबर को जगह दी। उत्तराखंड की पत्रकारिता की यह चुप्पी गंभीर प्रश्न खड़े करती है।
गंगा संरक्षण की लड़ाई मातृ सदन पिछले ढाई दशकों से निस्वार्थ भाव से लड़ रहा है। इस संघर्ष में अनेक तप, आहुतियाँ और बलिदान दिए गए हैं। फिर भी इस आंदोलन को मीडिया द्वारा अनदेखा किया जाना पत्रकारिता की निष्ठा और स्वतंत्रता पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि शासन-प्रशासन के दबाव और लोभ के कारण खबर को रोका गया, जबकि यह विषय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कवरेज का अधिकारी है।
मातृ सदन पर भी उठते रहे सवाल
हालांकि पत्रकारों का एक वर्ग यह भी मानता है कि मातृ सदन की गंगा लड़ाई निस्वार्थ और सामाजिक हित में रही है, लेकिन समय-समय पर आश्रम की कार्यशैली को लेकर सवाल भी उठे हैं। कुछ पत्रकारों का कहना है कि मातृ सदन कभी-कभी अपने हितों को भी प्राथमिकता देता है, जिससे उसकी छवि को लेकर मिश्रित राय बनती रही है।
फिर भी, अधिकांश का मत यही है कि गंगा संरक्षण के मामले में मातृ सदन का योगदान निर्विवाद और ऐतिहासिक है।

संत समाज का समर्थन
वरिष्ठ महामंडलेश्वर प्रबोधानंद गिरी ने मातृ सदन की इस पहल का समर्थन करते हुए कहा—
सनातन धर्म के प्रति मुखर होकर बोलने वाले महात्मा प्रबोधानंद गिरी ने कहा “माँ गंगा को जीवित दर्जा मिलना ही चाहिए। माँ गंगा सनातन धर्म की आत्मा हैं। मैं शिवानंद सरस्वती जी की इस मांग का पूर्ण समर्थन करता हूँ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह निवेदन करता हूँ कि इस मांग को साकार किया जाए।”
सच्चाई पर डटे रहने का संकल्प
मातृ सदन ने हमेशा यही कहा है कि सत्य पथ कठिन अवश्य है, पर इसी पर चलना ही धर्म है। गंगा की लड़ाई आज भी वहीं खड़ी है जहाँ वर्षों पहले शुरू हुई थी—और यही मातृ सदन की सबसे बड़ी तपस्या है।
लोगों की यही माँग है कि गंगा को जल्द से जल्द जीवित इंसानी दर्जा मिले और उसकी निर्मलता व अविरलता सुनिश्चित की जाए।

































































































































































































































































