महामंडलेश्वर प्रबोधनानंद गिरि का सख्त आदेश — “घर वापसी का स्वागत, इस्लाम में रहते हुए कलावा-रुद्राक्ष पर कड़ी कार्रवाई”
धर्म संसद-अखाड़ों में हलचल: सरकार से तत्काल कदम मांगा — ऩहीं तो हिंदू रक्षा सेना कार्रवाई के लिए तैयार

हरिद्वार, धर्म संसद के अध्यक्ष और हिंदू रक्षा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरिष्ठ महामंडलेश्वर प्रबोधनानंद गिरि ने सार्वजनिक सभा में सनातन समाज, प्रतीक और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर तीखा रुख़ दिखाया। उनके बयान ने साधु-संत, अखाड़ा और युवाओं के बीच गहरी चर्चा छेड़ दी है।
महामंडलेश्वर ने स्पष्ट कहा — “जो मुसलमान अपने घर में पुनः घर-प्रवेश करना चाहता है, उसका स्वागत है।” उनका यह भी मत रहा कि यदि कोई व्यक्ति सनातन की जड़ों की ओर लौटना चाहता है तो सनातन समाज उसे आशीर्वाद और स्नेह से स्वीकार करेगा।

सख्ती के साथ उन्होंने आगाह भी किया — “यदि कोई मुसलमान इस्लाम धर्म में रहते हुए कलावा और रुद्राक्ष धारण करता है तो वह कहीं न कहीं हिंदू धर्म को चोट पहुँचा रहा होगा।”

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपील की कि ऐसे मामलों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। महामंडलेश्वर ने उत्तराखंड सरकार द्वारा हाल में धर्मांतरण पर बनाए गए दंडात्मक प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि इन्हें ज़मीनी तौर पर प्रभावी किया जाए।
महामंडलेश्वर ने यह भी कहा कि “यदि सरकार कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है, तो हिंदू रक्षा सेना और उनकी सहयोगी सेनाएँ इस बीड़े को उठाएंगी और कार्रवाई करेंगी” — यह चेतावनी उनके वक्तव्य का सीधा हिस्सा रही।

महंत श्रद्धानंद ने महामंडलेश्वर के विचारों का खुले तौर पर समर्थन करते हुए कहा कि उनके विचारों को युवाओं तक पहुँचाने के हर संभव प्रयास किए जाएँगे। “युवाओं में भी इन विचारों को लेकर एकाग्रता देखी गई है,” महंत ने कहा।
समाज में चर्चा का विषय बने कुछ और महत्त्वपूर्ण बिंदु —
महामंडलेश्वर के मुताबिक़, “इस्लाम की जड़ें हिंदू समाज से निकली थीं; कुछ विद्रोही मार्गों पर गए।”
उन्होंने यह कहा कि जो व्यक्ति सनातन में वापस आएगा, उसे कलावा-रुद्राक्ष के साथ पूर्णतया आशीर्वाद मिलेगा; परन्तु “इस्लाम धर्म में रहते हुए ऐसा करना जिहादी मानसिकता के संकेत जैसा माना जा रहा है” — और इसके कई उदाहरण सामने आए हैं, जिन पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।
उन्होंने पुष्कर सिंह धामी व प्रधानमंत्री से विशेष अपील की कि इन मामलों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए; अन्यथा उन्होंने संगठनों द्वारा उठाए जाने की चेतावनी सार्वजनिक रूप से दी।
प्रशासनिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
स्थानीय अखाड़ों और साधु-समाज में इन बयानों पर गहन चर्चाएँ हुईं। कई धार्मिक नेतागण शान्ति, अनुशासन और कानूनी मार्ग पर बल दे रहे हैं। पुलिस और प्रशासन ने भी सतर्कता दिखाई है और कहा है कि किसी भी आरोप की जांच कानूनी प्रक्रियाओं के तहत ही होगी।
युवाओं में एकाग्रता और संवेदनशीलता के संकेत मिलने का उल्लेख किया जा रहा है; धार्मिक व सामाजिक कार्यकर्ता इसे गंभीर संकेत मान रहे हैं और अपील कर रहे हैं कि समुदायों के बीच संवाद और कानून का पालन सुनिश्चित किया जाए।


































































































































































































































































