शुभांशु शुक्ला पहुंचे इंटरनेशनल स्पेस सेंटर, हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण,,41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में।
आज हर भारतीय का मन गदगद है, क्योंकि भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला सहित चारों एस्ट्रोनॉट आज यानी 26 जून को शाम 4 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंच गए हैं। 28 घंटे के सफर के बाद सभी एस्ट्रोनॉट ISS पहुंचे हैं। पहले इनके पहुंचने का समय 4:30 बजे था। यह भारतीय के लिए गौरव का क्षण है। इससे पहले मिशन क्रू ने स्पेसक्राफ्ट से लाइव बातचीत की। शाम करीब 6:05 बजे अंतरिक्ष स्टेशन पर स्वागत भाषण होगा, फिलहाल कम्युनिकेशन से जुड़ी एक छोटी तकनीकी दिक्कत को ठीक करने का काम जारी है, इसमें कुछ मिनट लग सकते हैं। इसके बाद स्पेसक्राफ्ट का हैच (दरवाजा) खोलने की प्रक्रिया शुरू होगी। इसमें लीकेज की जांच सहित लगभग 2 घंटे का समय लगेगा।
ड्रैगन अंतरिक्ष यान ने लगभग 28 घंटे की यात्रा पूरी कर 26 जून को शाम 4 बजे ISS से सफलतापूर्वक डॉकिंग (Docking) कर ली। इसका मतलब है कि अब स्पेसक्राफ्ट ISS से जुड़ चुका है और क्रू सदस्य अब स्टेशन के अंदर प्रवेश कर सकते हैं।
14 दिन का स्पेस स्टे और 60 साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स
अब शुरू होने जा रहा है Xiom-4 मिशन का सबसे अहम चरण। सभी अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर करीब 14 दिन तक रहेंगे। इस दौरान वे 60 साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स करेंगे जो अब तक के किसी भी Axiom मिशन में की गई सबसे ज्यादा वैज्ञानिक गतिविधियां होंगी। इन प्रयोगों में अंतरिक्ष में मानव शरीर पर प्रभाव, नई तकनीकों की जांच और माइक्रोग्रैविटी में मेडिकल रिसर्च जैसे अहम पहलुओं पर फोकस किया जाएगा। यह मिशन न सिर्फ विज्ञान के लिहाज से बल्कि भविष्य के मानव अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी बेहद निर्णायक साबित होगा। इन प्रयोगों में अंतरिक्ष में मानव शरीर पर प्रभाव, माइक्रो ग्रैविटी में मेडिकल रिसर्च, और नए स्पेस टेक्नोलॉजी ट्रायल शामिल होंगे।
इस मिशन में अब तक क्या-क्या हुआ?
25 जून को दोपहर करीब 12 बजे Axiom Mission-4 के तहत भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए रवाना हुए। 26 जून शाम को उन्होंने सफलतापूर्वक ISS पर डॉकिंग की।
6 बार टला मिशन, फिर भी नहीं हारी हिम्मत
Axiom-4 मिशन को पहले लॉन्च किया जाना था लेकिन तकनीकी खामियों और मौसम की दिक्कतों की वजह से इसे 6 बार टालना पड़ा। बावजूद इसके, शुभांशु और उनकी टीम ने हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार सफर शुरू किया।
41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में
शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बने हैं। उनसे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के मिशन से अंतरिक्ष की यात्रा की थी। यानी 41 साल बाद एक भारतीय ने फिर से अंतरिक्ष में कदम रखा है।
नासा-इसरो की साझेदारी से बना मौका
यह मिशन NASA और ISRO के बीच हुए समझौते का हिस्सा है। शुभांशु के इस मिशन का अनुभव भारत के पहले मानव मिशन ‘गगनयान’ के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। गगनयान मिशन 2027 में लॉन्च हो सकता है, जिसमें भारतीय गगनयात्री पृथ्वी की निचली कक्षा में जाकर वापस लौटेंगे।।

































































































































































































































































