August 7, 2025
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महामंडलेश्वर प्रबोधानंद गिरि की अनुपमा रावत संग मुलाकात के सियासी मायने, जौनसार-बाबर से अवैध कब्जे की लड़ाई के बाद बड़ा संदेश!

हरिद्वार। उत्तराखंड की राजनीति में हलचल तेज हो गई है! जौनसार-बावर में अवैध कब्जों के खिलाफ जबरदस्त लड़ाई लड़कर लौटे वरिष्ठ महामंडलेश्वर प्रबोधानंद गिरि अब हरिद्वार श्यामपुर बालाजी निवास पर पूर्व मुख्यमंत्री की हरिद्वार ग्रामीण विधायक अनुपमा रावत को आशीर्वाद देकर सुर्खियों में आ गए हैं। राजनीतिक गलियारों में इस मुलाकात को लेकर जबरदस्त चर्चाएं हो रही हैं। क्या यह सिर्फ एक साधारण मुलाकात थी, या फिर इसके पीछे कोई बड़ी रणनीति छिपी हुई है?

 

जौनसार-बाबर में अवैध कब्जों के खिलाफ बिगुल

 

महामंडलेश्वर प्रबोधानंद गिरि हाल ही में जौनसार-बाबर में अवैध कब्जों के खिलाफ खुलकर मैदान में उतरे थे। वहां उन्होंने जमीन बचाने की जंग छेड़ी, जिससे कई रसूखदारों की नींद उड़ गई थी। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने खुद मोर्चा संभालते हुए प्रशासन से सीधी टक्कर ली, जिससे पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। उनकी इस लड़ाई ने उन्हें एक नया जन नेता बना दिया और अब वह सिर्फ संत ही नहीं, यह पूर्व से ही हिंदू हितों के रक्षक के रूप में भी देखे जाते रहे हैं।

 

हरिद्वार में अनुपमा रावत से मुलाकात – सिर्फ संयोग या सियासी संकेत?

 

अब सवाल यह उठता है कि क्या जौनसार-बाबर में अपनी ताकत दिखाने के बाद महामंडलेश्वर हरिद्वार में भी कोई बड़ा दांव खेलने जा रहे हैं? हरिद्वार ग्रामीण से विधायक अनुपमा रावत से उनकी मुलाकात को हल्के में नहीं लिया जा सकता। यह मुलाकात श्यामपुर कांगड़ी संघ के पुराने कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में हुई, जहां हिंदू रक्षा सेवा की राष्ट्रीय संरक्षक गुरु माता गिरी भी मौजूद रहीं।

 

सूत्रों का कहना है कि इस दौरान अनुपमा रावत ने खनन और प्रशासनिक व्यवस्था पर महामंडलेश्वर से विशेष चर्चा की। क्या यह संकेत है कि वह संघ और संत समाज के आशीर्वाद से अपने राजनीतिक कद को और मजबूत करना चाहती हैं? या फिर महामंडलेश्वर के हालिया अभियान को देखते हुए उनका समर्थन पाने की रणनीति बना रही हैं? पूर्व के दिनों में देखा गया कि कई का कांग्रेसी वरिष्ठ नेता महामंडलेश्वर के संपर्क में है

 

राजनीतिक गलियारों में हलचल – किस ओर जा रहा है यह समीकरण?

 

जानकारों का कहना है कि महामंडलेश्वर प्रबोधानंद गिरि अब सिर्फ धार्मिक संत नहीं, बल्कि एक धार्मिक योद्धा के रूप में उभर रहे हैं। जौनसार-बावर में अवैध कब्जों के खिलाफ उनकी जंग ने हिंदू संगठनों और स्थानीय जनता के बीच उनकी छवि को और मजबूत किया है। ऐसे में हरिद्वार में उनकी सक्रियता राजनीतिक समीकरणों को बड़ा मोड़ दे सकती है।

 

क्या आने वाले चुनावों में कोई बड़ा खेल होगा?

 

हालांकि, महामंडलेश्वर ने इस मुलाकात को सिर्फ एक औपचारिक भेंट बताया, लेकिन राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस मुलाकात के दूरगामी प्रभाव होंगे। संघ से जुड़े पुराने कार्यकर्ताओं का समर्थन पाने के संकेत भी मिल रहे हैं, जिससे साफ है कि यह साधारण भेंट नहीं, बल्कि एक बड़े सियासी खेल की तैयारी हो सकती है।

 

अब देखना होगा कि महामंडलेश्वर की इस सक्रियता से उत्तराखंड की राजनीति में क्या भूचाल आता है और क्या यह मुलाकात भविष्य में चुनावी समीकरणों में कोई बड़ा बदलाव लाएगी!

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