पतंजलि दवाई पर उपभोक्ता की शिकायत — साइड-इफेक्ट के बाद स्टोर पर जांच की मांग
हरिद्वार में उपभोक्ता उमेश शर्मा ने लगाया आरोप — “दिव्य मेघा वटी” से जीभ पर छाले और गर्दन दर्द, स्टोर में एक्सपायरी दवाओं की बिक्री का भी संदेह।

हरिद्वार, रानीपुर मोड़ स्थित पतंजलि स्टोर रानीपुर से अगस्त 2025 में उपभोक्ता उमेश शर्मा पुत्र प्रेमानंद शर्मा द्वारा “दिव्य मेघा वटी” दवाई खरीदी गई।
उमेश शर्मा का कहना है कि इस दवा के सेवन के बाद उन्हें जीभ पर छाले और गर्दन में लगातार दर्द जैसी परेशानियाँ शुरू हो गईं।
🔹 स्टोर संचालक पर आरोप
जब उपभोक्ता ने उक्त शिकायत स्टोर संचालक को बताई, तो उन्हें दुर्व्यवहार और उपेक्षा का सामना करना पड़ा।
शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि स्टोर में एक्सपायरी या जल्द समाप्त होने वाली दवाएँ भी बिक्री के लिए रखी गई हैं, जिससे स्वास्थ्य जोखिम और उपभोक्ता-सुरक्षा उल्लंघन का खतरा बढ़ जाता है।
🔹 प्रशासन से जांच की मांग
उमेश शर्मा ने जिला प्रशासन, ड्रग कंट्रोल ऑफिस और खाद्य एवं औषधि विभाग से अनुरोध किया है कितत्काल इस स्टोर की निरीक्षण-जांच करवाई जाए,उक्त दवा को बाज़ार से हटाया जाए,और अन्य संदिग्ध उत्पादों की बिक्री रोकी जाए।
🔹 राष्ट्रीय स्तर पर विवादों की पृष्ठभूमि
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयों और विज्ञापनों को लेकर कई कानूनी और नियामक कार्रवाइयाँ चल रही हैं—
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को भ्रामक विज्ञापनों (misleading ads) के लिए कड़ी फटकार लगाई थी।
उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने पहले ही 14 उत्पादों के निर्माण-लाइसेंस निलंबित किए थे।
अब भी जांच जारी है कि क्या वे प्रतिबंधित या निलंबित दवाएँ स्टोर्स में बिक रही हैं।
🔹 उपभोक्ता की अपील
उमेश शर्मा ने कहा —
“यह केवल मेरा मामला नहीं है, बल्कि समाज के अन्य लोगों की सुरक्षा से जुड़ा जनहित का विषय है। प्रशासन को चाहिए कि ऐसे उत्पादों की खुली जांच कर आगे नुकसान रोका जाए।”
⚖️ निष्कर्ष और सुझाव
यह शिकायत केवल एक व्यक्तिगत अनुभव नहीं बल्कि उपभोक्ता-सुरक्षा और दवा-नियमन तंत्र की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न है।जिला प्रशासन व ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी को चाहिए कि:
स्टोर का तत्काल निरीक्षण,
संबंधित बैच नंबर, एक्सपायरी डेट, और वितरक लाइसेंस की जांच,तथा आवश्यकता अनुसार FIR या कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
जन संदेश:दवाई खरीदते समय सदैव एक्सपायरी डेट, बैच नंबर और ड्रग लाइसेंस नंबर अवश्य जांचें।
किसी भी साइड इफेक्ट या संदेह की स्थिति में नज़दीकी ड्रग कंट्रोल ऑफिस में तत्काल शिकायत दर्ज कराएं।

































































































































































































































































