December 10, 2025
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ब्रह्म उपासना सर्वोपरि — हरिद्वार श्यामपुर ब्रह्मदेव आश्रम से उठी नई चेतना की लहर

हरिद्वार शांत और पवित्र श्यामपुर क्षेत्र में स्थित ब्रह्मदेव मंदिर आज सनातन साधना की नई दिशा बन चुका है।

मंदिर के महंत राकेश शर्मा, जिन्होंने ब्रह्म चेतना के आवाहन पर अपना विदेशी जीवन त्याग दिया,
अब न केवल ब्रह्मदेव उपासना के अग्रदूत बन चुके हैं, बल्कि उन्होंने एक नई आध्यात्मिक बहस को भी जन्म दिया है।

🔱 ब्रह्म ही मूल चेतना — सृष्टि का प्रथम स्वरूप

महंत राकेश शर्मा के अनुसार,

> “ब्रह्मदेव तीनों देवों में श्रेष्ठ हैं — वही सृष्टि के मूल हैं, वही प्रथम ज्ञानी और शक्ति-स्रोत हैं।
महादेव और नारायण भी ब्रह्म चेतना से उत्पन्न हुए हैं, जिसे हम ब्रह्मलोक कहते हैं।”

उनका कहना है कि ब्रह्मदेव सबसे शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं।
जो साधक सच्चे मन से ब्रह्मदेव की उपासना करता है, उसे अद्भुत ज्ञान, बल और स्थिरता प्राप्त होती है।
वह बतलाते हैं कि कथाओं और पुराणों में ब्रह्मदेव की उपेक्षा ने पीढ़ियों को उनसे दूर किया,
परंतु अब समय है कि साधक पुनः ब्रह्मदेव की ओर लौटें,
क्योंकि वही सृष्टि के प्रथम प्राण और सर्वश्रेष्ठ गुरु हैं।

🌍 कनाडा से श्यामपुर तक — ब्रह्म चेतना का आह्वान

महंत राकेश शर्मा का जीवन स्वयं इस परिवर्तन का उदाहरण है।
वर्षों तक वे कनाडा में रहकर भौतिक समृद्धि में रमे रहे,
परंतु एक दिन ध्यानावस्था में उन्हें ब्रह्म चेतना का अनुभव हुआ —
एक ऐसी अनुभूति जिसने उनकी पूरी जीवन-दिशा बदल दी।

> “ब्रह्म का आह्वान भीतर से हुआ। मैं समझ गया कि जीवन का लक्ष्य सांसारिक नहीं,
बल्कि चेतना के मूल को पहचानना है। उसी आह्वान ने मुझे भारत लौटाया,”
वे भाव-विभोर होकर कहते हैं।

पंजाब से होते हुए वे हरिद्वार पहुंचे,
जहां प्रारब्ध और संकल्प के संगम ने उन्हें श्यामपुर में ब्रह्मदेव मंदिर की स्थापना की प्रेरणा दी।

🕉️ श्यामपुर बना साधना का केंद्र — मनोकामना पूर्णता का स्थल

आज यह मंदिर हरिद्वार की आध्यात्मिक भूमि पर
एक जीवंत ऊर्जा केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित है।
देशभर से साधक यहां आकर ब्रह्म साधना करते हैं —
कई बताते हैं कि यहां साधना के बाद उनके जीवन में
अकल्पनीय परिवर्तन हुए और मनोकामनाएं पूर्ण हुईं।

रोज़ सुबह मंदिर प्रांगण में “ॐ ब्रह्माय नमः” की ध्वनि गूंजती है,
जो वातावरण को अलौकिक बना देती है।
महंत शर्मा स्वयं साधकों को ब्रह्मोपासना और ध्यान की विधियां सिखाते हैं।
उनका मानना है कि ब्रह्म साधना में व्यक्ति अपने भीतर स्थित देवत्व को पहचानता है —
और जब साधक भीतर के ब्रह्म को जान लेता है,
तो वह समस्त भय, मोह और संशय से मुक्त हो जाता है।

🌸 ब्रह्म चेतना पर राष्ट्रीय विमर्श — सोशल मीडिया पर उठी लहर

महंत राकेश शर्मा के विचारों ने देशभर में आध्यात्मिक बहस छेड़ दी है।
कई संत, महात्मा और आचार्य सोशल मीडिया पर
उनके विचारों पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
कुछ इसे सनातन धर्म का पुनर्जागरण बता रहे हैं,
तो कुछ इसे आध्यात्मिक क्रांति का प्रारंभ मान रहे हैं।

पुष्कर से लेकर हरिद्वार तक
ब्रह्म उपासकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।
लोग अब यह समझने लगे हैं कि ब्रह्मदेव कोई उपेक्षित देव नहीं,
बल्कि स्वयं ज्ञान, सृजन और सत्य का प्रथम बिंदु हैं

🕊️ आध्यात्मिक पुनर्जागरण का प्रतीक

श्यामपुर ब्रह्मदेव मंदिर अब केवल एक मंदिर नहीं,
बल्कि ब्रह्म चेतना के पुनर्जागरण का प्रतीक स्थल बन चुका है।
महंत राकेश शर्मा कहते हैं —“जब तक मानव अपने भीतर के ब्रह्म को नहीं पहचानता, वो भ्रमित ही रहता है
उनका यह संदेश आज के भौतिक युग में
मनुष्य को आत्मा और चेतना की ओर लौटने की प्रेरणा दे रहा है।

🌌 ब्रह्मलोक — सृष्टि का सर्वोच्च लोक

ब्रह्मांड के 14 लोकों में ब्रह्मलोक सबसे ऊपर माना गया है।
यही वह दिव्य लोक है जहां सृष्टि का मूल बीज स्थित है।
ब्रह्मलीन होने पर ही मोक्ष की प्राप्ति होती है,
क्योंकि ब्रह्मदेव ही वे देव हैं जिनके द्वारा
सृष्टि की रचना और देवों-दानवों की उत्पत्ति हुई।
उन्हीं से सृष्टि का विस्तार हुआ और ज्ञान का प्रवाह आरंभ हुआ।

हरिद्वार की गंगा तटस्थ भूमि पर अब ब्रह्म की ध्वनि गूंज रही है।यह संदेश केवल एक व्यक्ति का नहीं,
बल्कि उस प्राचीन सनातन सत्य का पुनर्जागरण है जो कहता है —> “ब्रह्म ही आरंभ है, ब्रह्म ही अंत।”

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