गंगा संरक्षण की लड़ाई तेज़ — हाईकोर्ट की सख़्ती के बाद मातृ सदन और संत समाज का स्वर हुआ एक
एनजीटी के नियमों की अवहेलना पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई
मातृ सदन ने हरिद्वार-गंगोत्री तक अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की माँग उठाई
महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी और अनेक संतों ने कहा — “माँ गंगा हमारी आत्मा हैं, उनका अपमान असहनीय”
हरिद्वार।
गंगा संरक्षण को लेकर एक बार फिर हरिद्वार से बड़ा स्वर उठा है। उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा भागीरथी किनारे अवैध होटल और रिजॉर्ट निर्माणों पर कड़ी फटकार लगाने के बाद अब मातृ सदन, हरिद्वार ने इस मामले को निर्णायक जनआंदोलन का रूप देने की तैयारी शुरू कर दी है।
गोमुख से उत्तरकाशी तक और हरिद्वार क्षेत्र में भी गंगा के तटों पर नियमविरुद्ध निर्माणों को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। अदालत ने स्पष्ट कहा है कि एनजीटी के दिशा-निर्देशों की अवहेलना कर किसी भी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधि या निर्माण गंगा की मूल धारा और उसकी पारिस्थितिकी के साथ खिलवाड़ है।
मातृ सदन के संन्यासी ब्र. सुधानंद ने बताया कि गंगा तटों पर “अमात्रा रिजॉर्ट, श्यामपुर” और “सुकून बाय द गंगा, कनखल” जैसे प्रोजेक्ट 200 मीटर प्रतिबंधित क्षेत्र के भीतर अवैध रूप से चल रहे हैं।

इन स्थलों पर मद्यपान जैसी अपवित्र गतिविधियाँ गंगा की गरिमा को ठेस पहुँचा रही हैं। मातृ सदन ने जिला प्रशासन और हरिद्वार विकास प्राधिकरण को पत्र भेजकर तुरंत कार्रवाई की माँग की है।

इस बीच, देशभर के गंगा भक्त संगठनों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाई है। गंगा प्रोटेक्ट फोरम, हिमालयन नागरिक दृष्टि मंच, और गंगा जल बचाओ अभियान जैसे संगठनों ने एनजीटी और हाईकोर्ट के निर्देशों का कड़ाई से पालन करवाने की माँग की है।
संत समाज भी मैदान में — “धर्म संसद करेगी गंगा अपमान का प्रतिकार”
आरएसएस से जुड़े बड़े संत और महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी ने कहा कि “माँ गंगा हमारी आत्मा हैं। उनकी निर्मलता और पवित्रता से जो भी खिलवाड़ करेगा, उसके विरुद्ध धर्म संसद आवाज़ उठाएगी। गंगा का संरक्षण करना हमारा हिंदू धर्म है, और यह केवल पर्यावरण नहीं, बल्कि अध्यात्म की रक्षा का विषय है।”
स्वामी प्रबोधानंद गिरी और बाबा योगी ने यह भी कहा कि वे मातृ सदन के स्वामी शिवानंद सरस्वती जी के साथ खड़े हैं और गंगा की रक्षा के लिए उनके आंदोलन को पूर्ण समर्थन देंगे। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि सरकारें गंगा किनारे के अवैध निर्माणों पर रोक नहीं लगातीं, तो संत समाज सड़कों पर उतरकर धर्मयुद्ध छेड़ देगा।

माँ गंगा की निर्मलता के लिए महात्माओं का आह्वान
मातृ सदन से लेकर बद्रीनाथ तक संत समाज में एक स्वर गूंज रहा है — “माँ गंगा केवल जलधारा नहीं, आत्मा की धारा हैं।”
हरिद्वार के कई संतों, पर्यावरण प्रेमियों और नागरिक संगठनों ने भी यह संकल्प लिया है कि वे आने वाले समय में गंगा के संरक्षण के लिए जनजागरण अभियान चलाएंगे।
अब यह आंदोलन केवल कानूनी नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना का रूप ले रहा है।हाईकोर्ट की सख्ती, एनजीटी की बंदिशें और मातृ सदन का संकल्प — तीनों मिलकर गंगा की रक्षा के लिए एक नई चेतना का प्रतीक बन चुके हैं।

































































































































































































































































