किसानों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू, स्मार्ट मीटर और गन्ना भुगतान को लेकर उठाई आवाज।।

किसानों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू, स्मार्ट मीटर और गन्ना भुगतान को लेकर उठाई आवाज
रुड़की, 28 अगस्त।
उत्तराखंड किसान मोर्चा (अराजनीतिक) के बैनर तले किसानों ने मंगलवार से रुड़की एसडीएम कोर्ट परिसर में अनिश्चितकालीन धरने का आरंभ कर दिया। किसानों की मुख्य मांगों में स्मार्ट मीटर प्रणाली का विरोध, गन्ने के बकाया का शीघ्र भुगतान और पिछले बिजली बकाया बिलों में छूट शामिल है।
धरने में जुटे किसान नेताओं का कहना है कि सरकार बार-बार किसानों से वादे तो करती है लेकिन उन्हें पूरा करने में लगातार नाकाम साबित हो रही है। स्मार्ट मीटर लगाने से बिजली बिलों में बढ़ोतरी हो रही है और किसानों की आर्थिक स्थिति पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। उनका कहना है कि ग्रामीण और किसान परिवार पहले ही महंगाई और खेती की लागत से परेशान हैं, ऐसे में स्मार्ट मीटर की व्यवस्था किसान विरोधी है।
गन्ना भुगतान को लेकर भी किसानों में भारी नाराजगी है। उनका आरोप है कि शुगर मिलों द्वारा लंबे समय से गन्ना बकाया अटका हुआ है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो गई है। समय पर भुगतान न होने से किसान कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं। किसानों ने मांग की है कि सरकार तत्काल हस्तक्षेप कर बकाया भुगतान सुनिश्चित करे।
धरने के दौरान किसान नेताओं ने यह भी कहा कि बिजली के पुराने बकाया बिलों पर सरकार को छूट देनी चाहिए। उनका कहना है कि खेती-किसानी पहले से घाटे का सौदा बन चुकी है, ऐसे में किसानों से बकाया वसूली करना सरासर अन्याय है।
मोर्चा के नेताओं ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि मांगों पर शीघ्र ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो धरना और व्यापक आंदोलन का रूप लेगा। उन्होंने साफ कहा कि यह आंदोलन केवल किसानों के लिए नहीं बल्कि पूरे ग्रामीण समाज के लिए है, क्योंकि बिजली और गन्ने की समस्याएं सीधे तौर पर हर परिवार को प्रभावित करती हैं।
धरने में चौधरी मेघपाल सिंह के नेतृत्व में बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे। उन्होंने एकजुट होकर नारेबाजी की और साफ कर दिया कि अब किसान पीछे हटने वाले नहीं हैं। आंदोलन अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा और जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक धरना स्थल पर किसान डटे रहेंगे।
धरने में शामिल किसानों ने कहा कि सरकार को यह समझना होगा कि किसान केवल अन्नदाता ही नहीं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में आंदोलन की लहर उठ सकती है।