इस बार की कांवड़ यात्रा केवल भक्ति नहीं — व्यवस्था और विवेक की भी परीक्षा है,,,

कांवड़ यात्रा नहीं, व्यवस्था की चूक उपद्रव की जड़ — प्रशासन और मीडिया करें आत्ममंथन
हरिद्वार से मंगलौर और क्रिस्टल वर्ल्ड तक — तीन बड़ी घटनाएं, एक जैसी वजह:
वाहन चालकों की लापरवाही से कांवड़ खंडित हुई। लेकिन जिम्मेदार ठहराया गया कांवड़ियों को।
कांवड़िया पूछ रहे — क्या यही है हरि का न्याय?
2025 की हरिद्वार कांवड़ यात्रा इस बार सिर्फ आस्था का उत्सव नहीं, बल्कि सनातन की परीक्षा बनती जा रही है।
लाखों श्रद्धालु जब शिवभक्ति में लीन होकर गंगाजल से भरी कांवड़ लेकर चल रहे हैं,
तब कुछेक घटनाओं को आधार बनाकर पूरी यात्रा को विवादित करने की योजनाबद्ध कोशिशें सामने आ रही हैं।
जब कोई शिवभक्त गंगाजल भरकर कांवड़ उठाता है,
तो वह ‘बोल बम’ की ध्वनि के साथ केवल जल नहीं,
बल्कि अपना व्रत, संयम और संकल्प भी उठाता है।
ऐसे में यदि कांवड़ खंडित हो जाए —
तो केवल लकड़ी या स्टील का ढांचा नहीं टूटता — व्रत टूटता है।

तीन घटनाएं, एक जैसी सच्चाई: ड्राइवर की गलती, गुस्सा कांवड़ियों पर — क्या ये न्याय है?
🔴 1. बहादराबाद – मनोज शर्मा पर हमला, हत्या की कोशिश का केस
गुरुवार शाम लगभग 6:30 बजे रुड़की-हरिद्वार हाईवे पर
सोनीपत निवासी मनोज शर्मा अपने तीन साथियों के साथ गंगा स्नान के बाद लौट रहे थे।
बहादराबाद में उनकी कार कुछ कांवड़ियों से हल्के से छू गई,
जिसके बाद करीब 20 कांवड़ियों ने उन पर लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से हमला कर दिया।
👉 यह घटना भी रॉन्ग साइड ओवरटेकिंग के दौरान हुई,
जिसका प्रमाण सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है —
जहाँ वाहन कांवड़ियों के जुलूस में विपरीत दिशा से घुसता नजर आ रहा है।
पुलिस के मौके पर पहुंचने से हमला रुका और तीन कांवड़ियों को गिरफ्तार किया गया।
मनोज शर्मा को अस्पताल में भर्ती कराया गया, फिर उनकी शिकायत पर
BNS की धारा 109 (हत्या का प्रयास) व 324(5) (₹1 लाख से अधिक संपत्ति को नुकसान) में FIR दर्ज हुई।
गिरफ्तार युवक:
आशु कुमार
रित्विक सिंह
रवि कुमार
(सभी निवासी गंगोह, सहारनपुर, उम्र: लगभग 25 वर्ष)
🟠 2. बेल्डा – राजस्व अधिकारी की गाड़ी रोकी गई
गुरुवार रात करीब 10 बजे
भगवानपुर तहसील के राजस्व अधिकारी आशु गिरी ब्रह्मपुर (रुड़की) स्थित अपने घर लौट रहे थे।
बेल्डा क्षेत्र में कांवड़ियों के समूह ने उनकी SUV को बीच सड़क पर रोक दिया।
स्थिति कुछ देर के लिए तनावपूर्ण रही,
लेकिन पुलिस की मौजूदगी से विवाद शांत हो गया।
👉 यह घटना भी रॉन्ग साइड ओवरटेकिंग का परिणाम रही —
ड्राइवर ने विपरीत दिशा से कांवड़ मार्ग में घुसने का प्रयास किया,
जिसके चलते स्थिति बिगड़ी।
इसकी पुष्टि उन स्थानीय वीडियो और फ़ोटो से होती है जो सोशल मीडिया पर सामने आए हैं।
🟡 3. क्रिस्टल वर्ल्ड और UK08 स्कॉर्पियो घटनाएं — रूट डायवर्जन की अनदेखी
तीसरी और चौथी घटनाएं क्रिस्टल वर्ल्ड के पास और मंगलौर क्षेत्र में सामने आईं।
एक हरियाणा नंबर की मारुति कार,
और फिर UK08 नंबर की स्कॉर्पियो,
दोनों ही ने रूट डायवर्जन की अनदेखी करते हुए जबरन कांवड़ मार्ग में प्रवेश किया।
इनमें से एक वाहन से कांवड़ टकराई और खंडित हो गई,
जिसके बाद कांवड़ियों ने विरोध किया।
स्थानीय लोगों और पुलिस ने मिलकर मामला शांत किया।
👉 इन दोनों ही घटनाओं में भी रॉन्ग साइड ओवरटेकिंग की बात स्पष्ट है।
सोशल मीडिया पर वायरल फोटो और वीडियो में साफ दिख रहा है कि वाहन
विपरीत दिशा से जबरन कांवड़ यात्रा के रूट में घुसे, जिससे आस्था आहत हुई।
तथ्य यही कहते हैं — लेकिन जिम्मेदार कौन?
तीनों घटनाओं में कांवड़ियों ने जानबूझकर हमला नहीं किया,
बल्कि गंगाजल खंडित होने की पीड़ा ने उन्हें विचलित किया।
यदि प्रशासन ने मार्गों को सही ढंग से डायवर्ट किया होता,
वाहन चालकों ने संयम रखा होता, तो
ना कांवड़ टूटती, ना टकराव होता, ना सनातन शर्मिंदा होता।

संत समाज की प्रतिक्रिया — संयम की साधना को ना ठुकराएं
हिंदू रक्षा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर प्रबोधानंद गिरि महाराज ने कहा:
“जब कांवड़िये अपने शरीर से अधिक भार उठाकर संयम और श्रद्धा से चल रहे हैं, तो प्रशासन को उनसे शक्ति नहीं, सहानुभूति से व्यवहार करना चाहिए। हम यह विषय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के समक्ष रखेंगे।”
मीडिया और व्यवस्था — आत्ममंथन करें
हर बार यात्रा में कुछेक घटनाओं को लेकर पूरे सनातन को कठघरे में खड़ा कर देना किसी साजिश की बू देता है।
क्या ड्राइवर की गलती के बावजूद शिवभक्तों को ‘उपद्रवी’ कह देना न्याय है?
क्या संयम, व्रत और आस्था के साथ चलने वाले लोगों इस बार की कांवड़ यात्रा केवल भक्ति नहीं —व्यवस्था और विवेक की भी परीक्षा है।
राजनीति और रेटिंग की बलि चढ़ाना उचित है?
निष्कर्ष
इस बार की कांवड़ यात्रा केवल भक्ति नहीं —व्यवस्था और विवेक की भी परीक्षा है।
मीडिया को चाहिए कि वह अपना दृष्टिकोण संतुलित रखे,
और प्रशासन को चाहिए कि वह श्रद्धालुओं के लिए ट्रैफिक रूट और सहायता केंद्र सुनिश्चित करे।
यदि सनातन की इस पवित्र यात्रा को निशाना बनाया गया,
तो 2025 की कांवड़ यात्रा केवल जन-आस्था नहीं —
जन-जागरूकता की चेतना बनकर उभरेगी।