September 12, 2025
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भारत की धरती पर रुका दुनिया का सबसे एडवांस फाइटर प्लेन! रडार नहीं रुका, शायद ईश्वरीय शक्ति ने रोका!

  1. “यह कोई तकनीकी विफलता नहीं, यह ईश्वरीय संकेत है”

हरिद्वार के संत बोले— युद्ध नहीं, चेतना जीतेगी

ब्रिटिश नौसेना का अत्याधुनिक F-35B फाइटर जेट भारत में 11 दिन से निष्क्रिय पड़ा है, परंतु यह केवल तकनीक की विफलता नहीं — यह एक चेतावनी है। हरिद्वार के संतों और महात्माओं ने इस घटनाक्रम को विज्ञान के स्तर से ऊपर उठकर एक आध्यात्मिक हस्तक्षेप बताया है।

🔴 “जहां हथियारों का घमंड पहुंचता है, वहां ऋषियों की चेतना उसे रोक देती है”

वरिष्ठ महामंडलेश्वर, जूना अखाड़ा, स्वामी प्रबोधानंद गिरी ने इस पूरे मामले को “ईश्वरीय कृपा” का प्रमाण बताया। उन्होंने कहा:

“यह कोई विमान नहीं रुका है, यह अहंकार रुका है। भारत की भूमि संजीवनी चेतना से युक्त है। जब यहां हथियारों का घमंड पहुंचता है, तब ऋषियों की तरंगें उस गति को विराम देती हैं।”

 तकनीक जहाँ रुकी, वहाँ ईश्वर सक्रिय हुआ

14 जून को ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35B विमान हाइड्रॉलिक फेलियर के बाद 7700 इमरजेंसी कोड पर तिरुवनंतपुरम् एयरपोर्ट पर उतरा। अमेरिकी-ब्रिटिश इंजीनियर 11 दिनों में उसे रीस्टार्ट नहीं कर सके। चार बार फ्लाइट-कंट्रोल मॉड्यूल बदला गया, लेकिन विमान मौन है।

 संत समाज का मत है—

> “यह भारतभूमि की चेतना है, जो ऐसे आक्रमणकारी औजारों को खुद निष्क्रिय कर देती है।”

परमाणु युद्ध हुआ, तो वही होगा — ‘विघ्न पड़ेंगे’

महामंडलेश्वर स्वामी चैतन्य गिरि ने कहा:

“यदि भविष्य में परमाणु युद्ध जैसी आपदाएँ आती हैं, तब भी भारत की भूमि पर वह युद्ध निष्क्रिय हो जाएंगे। यह भूमि नष्ट नहीं, नियंता बनकर उभरेगी। यही ऋषि-परंपरा की ऊर्जा है।”

🌀 1988 श्री-यंत्र से लेकर अब तक चेतना सक्रिय है

हरिद्वार के कई तपस्वियों ने इस घटना को अमेरिका के नेवादा में 1988 में हुए श्री-यंत्र प्रकरण से जोड़ा, जब एक रात में सूखी झील पर 165 मीटर का श्री-यंत्र पैटर्न उभरा था जिसे कोई समझ नहीं सका।

स्वामी युक्तानंद सरस्वती बोले—

“जैसे ब्रह्मांड ने तब संकेत दिया था, वैसे ही अब भारत में संकेत है— आध्यात्मिक ऊर्जा जाग्रत है, और यही असली सुरक्षा कवच है।”

 

 केंद्र सरकार की सजगता की सराहना

संत समाज ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और रक्षा मंत्रालय के सतत सहयोग की प्रशंसा की।

स्वामी अच्युतानंद बोले—

> “भारत ने न केवल टेक्निकल सहायता दी, बल्कि संयम और शांति का संदेश भी दिया। यही धर्म की नीति है— ‘विनम्रता से बलवान होना’।”

निष्कर्ष: विज्ञान का अंत जहां होता है, वहां धर्म शुरू होता है

हरिद्वार के संतों ने स्पष्ट कहा—
“अब समय आ गया है जब युद्ध केवल मिसाइलों से नहीं, चेतना की शक्ति से लड़े जाएंगे। भारत का आध्यात्मिक विज्ञान अब जाग्रत अवस्था में है और ईश्वरी कृपा से विश्व की रक्षा कर रहा है।”

 

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