अमेरिका के हमले के बाद ईरान ने होर्मुज स्ट्रेट बंद करने की दी धमकी,,भारत के तेल आयात पर कितना पड़ेगा असर?

ईरान ने होर्मुज स्ट्रेट बंद करने की धमकी दी है, जिससे भारत सहित कई देशों में चिंता बढ़ी है। भारत ने तेल आपूर्ति में विविधता लाकर स्थिति को संभालने की तैयारी की है।
ईरान और इजरायल के बीच जारी जंग की तपिश अब दुनिया भी झेलेगी। ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के भीषण हमले के बाद इस्लामिक गणराज्य ने होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की धमकी दी है। होर्मुज स्ट्रेट फारस की खाड़ी को अरब सागर और हिंद महासागर से जोड़ता है। यह मार्ग वैश्विक तेल व्यापार का एक महत्वपूर्ण गलियारा है। इस स्ट्रेट से दुनिया के 20 फीसदी तेल और 25 फीसदी प्राकृतिक गैस की ढुलाई होती है। इस रास्ते से भारत भी प्रतिदिन लगभग 20 लाख बैरल कच्चा तेल आयात करता है। ईरान द्वारा इस स्ट्रेट को बंद करने की धमकी ने भारत सहित कई देशों में चिंता बढ़ा दी है।
लेकिन क्या यह धमकी वाकई भारत की ऊर्जा सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है?
होर्मुज स्ट्रेट बंद होने से भारत के तेल आयात पर कितना असर पड़ेगा?
ईरान के होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की धमकी से हाहाकार मचा हुआ है।
भारत अपनी जरूरत का 90 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। इसमें से 40 फीसदी से अधिक मध्य पूर्व के देशों जैसे सऊदी अरब, इराक, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत से आता है। ये सभी आयात होर्मुज स्ट्रेट से होकर भारत आता है। भारत प्रतिदिन 55 लाख बैरल तेल आयात करता है, जिसमें से 15 से 20 लाख बैरल इस स्ट्रेट से आता है. अगर ईरान इस स्ट्रेट को बंद करता है, तो तेल की आपूर्ति में तत्काल रुकावट और कीमतों में उछाल आना तय है। कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि तेल की कीमतें 80 से 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं।
स्थिति बहुत चिंताजनक नहीं
हालांकि, भारत सरकार और विशेषज्ञों का कहना है कि स्थिति इतनी चिंताजनक नहीं है। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आश्वासन दिया है कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपने तेल आपूर्ति में काफी विविधता लाया है। भारत अब 40 देशों से तेल का आयात करता है, जो पहले केवल 27 थे। रूस अब भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है। वह अपने तेल को स्वेज नहर, केप ऑफ गुड होप या प्रशांत महासागर के रास्ते भेजता है। यह आपूर्ति होर्मुज स्ट्रेट पर निर्भर नहीं हैं। जून 2025 में भारत ने रूस से 21-22 लाख बैरल प्रतिदिन तेल आयात किया, जो मध्य पूर्व के कुल आयात को पार करता है। इसके अलावा, अमेरिका, ब्राजील, नाइजीरिया और अंगोला जैसे देशों से आयात बढ़ाकर भारत इस कमी को पूरा कर सकता है, भले ही यह थोड़ा महंगा पड़े।
प्राकृतिक गैस के मामले में भी भारत की स्थिति मजबूत है। भारत का प्रमुख गैस आपूर्तिकर्ता कतर होर्मुज स्ट्रेट का उपयोग नहीं करता और ऑस्ट्रेलिया, रूस और अमेरिका जैसे अन्य स्रोतों से गैस आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भारत के पास 74 दिन की खपत के लिए तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का भंडार है, जिसमें 9.5 दिन का रणनीतिक भंडार शामिल है। यह आपात स्थिति में मांग को संभालने के लिए पर्याप्त हैं।
तीन से चार गुना हो जाएगी शिपिंग लागत
फिर भी चुनौतियां हैं। होर्मुज स्ट्रेट बंद होने से शिपिंग लागत 300-400 फीसदी तक बढ़ सकती है, क्योंकि जहाजों को अफ्रीका के रास्ते लंबा रास्ता लेना पड़ेगा। इससे आयातित तेल की लागत बढ़ेगी, जिसका असर ईंधन की कीमतों पर पड़ेगा। साथ ही मध्य पूर्व से आपूर्ति कम होने पर वैश्विक बाजार में तेल की कमी हो सकती है, जिससे कीमतें और अस्थिर होंगी।
ईरान के लिए भी स्ट्रेट बंद करना आसान नहीं है। यह उसके अपने तेल निर्यात को रोक देगा, जो उसकी अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक होगा। साथ ही, अमेरिका और अन्य पश्चिमी नौसेनाओं की मौजूदगी इसे और जटिल बनाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान की यह धमकी रणनीतिक दबाव बनाने की कोशिश है न कि तत्काल कार्रवाई।
कुल मिलाकर, भारत की विविध आपूर्ति और रणनीतिक भंडार उसे तत्काल संकट से बचाने में सक्षम हैं।लेकिन लंबे समय तक स्ट्रेट बंद रहने से कीमतों में वृद्धि और आर्थिक दबाव बढ़ सकता है। सरकार को स्थिति पर कड़ी नजर रखनी होगी और वैकल्पिक रास्तों को और मजबूत करना होगा।