गंगा पुत्र निगमानंद की 15वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा, मातृ सदन बोला – बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा

गंगा रक्षा आंदोलन के प्रतीक बने स्वामी निगमानंद, खनन माफिया पर साधा निशाना
हरिद्वार, 13 जून।
गंगा की पवित्रता और अविरलता की खातिर जीवन बलिदान देने वाले स्वामी निगमानंद सरस्वती की 15वीं पुण्यतिथि पर मातृ सदन आश्रम, कनखल में एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। इस अवसर पर मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती महाराज ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “निगमानंद का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा, गंगा रक्षा की लड़ाई अंतिम सांस तक जारी रहेगी।”
सभा में स्वामी निगमानंद की समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। वक्ताओं ने उन्हें ‘गंगा का पुत्र’ बताते हुए उनके तप, संघर्ष और बलिदान को युगों तक प्रेरणास्रोत बताया। सभा में स्वामी शिवानंद सरस्वती महाराज ने यह आरोप भी लगाया कि स्वामी निगमानंद की हत्या की गई थी — खनन माफियाओं के इशारे पर उन्हें जहर देकर मारा गया।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में खनन माफियाओं की जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं कि राज्य सरकार स्वयं उनके संरक्षण में दिखाई दे रही है। “देवभूमि का देवत्व और तीर्थत्व आज संकट में है। हाईकोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, और सीपीसीबी, एनएमसीजी जैसे पर्यावरणीय मानकों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है,” – स्वामी शिवानंद ने चेतावनी भरे स्वर में कहा।
श्रद्धांजलि सभा में साध्वी पद्मावती, डॉ. विजय वर्मा, भोपाल सिंह चौधरी, वरिष्ठ पत्रकार कृष्णकांत मणि त्रिपाठी, डॉ. निरंजन मिश्रा, कोशलेन्द्र झा, बसंत कुमार और प्रधान दिनेश वालिया सहित अनेक वक्ताओं ने स्वामी निगमानंद के योगदान को याद किया। संचालन ब्रह्मचारी सुधानंद ने किया।
इस अवसर पर शिव डेल स्कूल के संस्थापक स्वामी शरद पुरी महाराज, व्यापारी नेता संजीव चौधरी, सुराज सेवा दल के अध्यक्ष रमेश जोशी, किसान मजदूर उत्थान संस्था के विनोद कश्यप सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
मातृ सदन: तीन दशकों की सतत साधना
मातृ सदन पिछले 30 वर्षों से गंगा रक्षा के लिए संघर्षरत है। सत्याग्रह, उपवास और वैचारिक आंदोलन की इस धारा में कई संतों और ब्रह्मचारियों ने तपस्वी जीवन जीते हुए बलिदान दिए हैं। स्वामी निगमानंद का 115 दिन का उपवास, ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद का लंबा अनशन और मातृ सदन के अनेक संघर्ष इस बात का प्रमाण हैं कि यह संस्था गंगा को केवल नदी नहीं, माँ मानती है।
वर्तमान में स्वामी सर्वानंद सरस्वती, ब्रह्मानंद सरस्वती सहित कई शिष्य आश्रम में गुरुदेव शिवानंद सरस्वती की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
सभा का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि गंगा रक्षा की मशाल जलती रहेगी, चाहे कितनी भी चुनौतियां आएl