पायलट बाबा आश्रम विवाद: वसीयत, संपत्ति और पहचान पर उठे सवाल, SIT जांच शुरू
हरिद्वार,,,, महायोगी पायलट बाबा के देहावसान के बाद हरिद्वार स्थित उनके आश्रम में उत्तराधिकार और संपत्ति को लेकर उभरे विवादों ने संत समाज में उथल-पुथल मचा दी है। वसीयत को लेकर खींचतान, अवैध कब्जे के आरोप और एक शिष्य की कथित धार्मिक पहचान छिपाने की बातों ने पूरे माहौल को गर्मा दिया है। मामला अब SIT जांच तक पहुंच चुका है।
श्रद्धा माता और चेतना माता को वसीयत में घोषित किया गया उत्तराधिकारी
पायलट बाबा ने अपने जीवनकाल में जापानी मूल की केको आईकावा , श्रद्धा माता और चेतना माता को आश्रम की आध्यात्मिक व प्रशासनिक जिम्मेदारी सौंपते हुए वसीयत बनाई थी। संत समाज और अखाड़ा परिषद की सहमति से यह उत्तराधिकार तय हुआ था, जो बाबा के निधन के बाद लागू किया गया।

शिष्यों में मतभेद, अवैध कब्जे के आरोप
बावजूद इसके, कुछ शिष्यों — संजय, शंभु, पूनम, करण गिरी और अन्य — ने वर्तमान प्रबंधन को नकारते हुए आश्रम पर कब्जे की कोशिश की। हालात बिगड़ने पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी को स्वयं आश्रम पहुंचकर हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने दोटूक कहा:
> “पायलट बाबा की वसीयत अंतिम है। कोई भी आश्रम पर अवैध कब्जा नहीं कर सकता।”
करण गिरी पर धार्मिक पहचान छिपाने के आरोप
सबसे बड़ा विवाद करण गिरी नामक शिष्य को लेकर है, जिन पर आरोप है कि वे मूल रूप से मुस्लिम पृष्ठभूमि से हैं लेकिन हिंदू संत का भेष धारण कर रहे हैं। संतो ने आरोप लगाया कि वह बार-बार आश्रम में विवाद खड़ा करते हैं और उनकी पुलिस वेरिफिकेशन की मांग तेज हो गई है।
संतों और संगठनों की वेरिफिकेशन की मांग
स्वामी सर्वानंद गिरी और विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री जीवेंद्र तोमर समेत कई संतों ने हरिद्वार के आश्रमों में कार्यरत सभी व्यक्तियों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य करने की मांग की है।
> “किसी भी फर्जी या संदिग्ध व्यक्ति का संत बनना धर्म और समाज के साथ विश्वासघात है।” — संत समाज
SIT जांच और प्रशासन की सख्ती
हरिद्वार एसएसपी परविंद्र डोबाल ने पूरे विवाद की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित की है। यह टीम आश्रम की संपत्ति, विवादित गतिविधियों और सभी शिकायतों की बारीकी से जांच कर रही है।
बाबाओं के खिलाफ अपराध में 400% वृद्धि: NCRB रिपोर्ट
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक, 2017 से 2023 के बीच बाबा बनकर अपराध करने वालों की संख्या में 400% तक की वृद्धि दर्ज की गई है। यह आंकड़ा संत समाज में गहरी चिंता का विषय बन चुका है।
मात्र सदन का संतुलित बयान
मात्र सदन के संस्थापक शिवानंद सरस्वती ने पूरे विवाद पर संतुलित प्रतिक्रिया दी:
“उत्तराधिकारी वही होना चाहिए जो गुरु की परंपरा को सच्चे भाव से निभाए। दूसरा पक्ष भी सुना जाना चाहिए। मात्र सदन सत्य और संत परंपरा की रक्षा के लिए कटिबद्ध है।”
निष्कर्ष: आस्था की नगरी में अब पारदर्शिता की जरूरत
हरिद्वार जैसे पवित्र तीर्थ में संत समाज की गरिमा बचाने के लिए अब वक्त आ गया है कि:
- सभी आश्रमों में पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य हो
- संपत्ति का नियमित ऑडिट हो
- संतों की आत्म-नियंत्रण प्रणाली विकसित की जाए
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