हनुमान जयंती पर मातृ सदन ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र, सनातन संस्कृति की रक्षा का किया आह्वान

हनुमान जयंती के पावन अवसर पर हरिद्वार स्थित मातृ सदन ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक महत्वपूर्ण पत्र भेजकर सनातन संस्कृति और साधना स्थलों की गरिमा की रक्षा का आग्रह किया है। इस पत्र के सार्वजनिक होते ही मामला चर्चाओं का विषय बन गया है।
मातृ सदन ब्रह्मचारी सदानंद द्वारा भेजे गए पत्र में उत्तराखंड पर्यटन एवं यात्रा व्यवधान पंजीकरण नियमावली 2014 में आश्रमों और साधना स्थलों को पर्यटन व्यवसाय की श्रेणी में शामिल करने के निर्णय को “मूर्खता पूर्ण” और “प्रशासनिक नाकामी” करार दिया गया है। पत्र में यह भी उल्लेख है कि आश्रमों को पर्यटन विभाग के पोर्टल पर अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराने के लिए नोटिस न केवल अनुचित है, बल्कि यह सनातन परंपरा और साधना के मूल स्वभाव के भी विरुद्ध है।
मातृ सदन के ब्रह्मचारी सुधानंद ने अपने पत्र में लिखा कि आश्रम केवल धार्मिक संस्थाएं नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के संरक्षण और आध्यात्मिक साधना के केंद्र होते हैं। इन्हें व्यापारिक ढांचे में शामिल करना एक गहरी भूल होगी, जिसके दूरगामी दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री को आगाह करते हुए कहा कि यदि आश्रमों के आसपास व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिला, तो इससे न केवल आध्यात्मिक शांति भंग होगी, बल्कि आश्रमों का मूल उद्देश्य भी विकृत हो जाएगा। आश्रमों को एकांत और शांति का स्थान माना जाता है, जहां साधना और आत्मिक उन्नति होती है, न कि पर्यटन और व्यापार।
यह मुद्दा धार्मिक और आध्यात्मिक समुदायों के बीच गहन चिंता का विषय बन चुका है। प्रदेश सरकार की ओर से इस पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि इस पत्र के बाद सरकार को नियमावली पर पुनः विचार करना पड़ सकता है।