बुलडोज़र की गूंज के बीच उठे लोकतंत्र के सवाल! हरिद्वार में अवैध मजार पर कार्रवाई, मीडिया को कवरेज से रोके जाने पर उठा विवाद

उत्तराखंड के हरिद्वार में प्रशासन ने एक बार फिर अवैध निर्माणों पर सख्ती दिखाते हुए रविवार को ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्र में सरकारी जमीन पर बनी एक अवैध मजार को ध्वस्त कर दिया। यह मजार सिंचाई विभाग की भूमि पर बनी थी, जिसे प्रशासन ने कब्जा मुक्त कराने की कार्रवाई के तहत गिरा दिया।
जहाँ एक ओर प्रशासन इस कार्रवाई को “कानून के राज की स्थापना” बता रहा है, वहीं दूसरी ओर मीडिया को कवरेज से रोकने और पत्रकारों के साथ कथित बदसलूकी के आरोपों ने पूरी कार्रवाई को विवादों में ला खड़ा किया है।
मीडिया का आरोप – रिपोर्टिंग पर रोक, मोबाइल जब्त और फुटेज डिलीट
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कार्रवाई के दौरान कई पत्रकारों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए और उनकी रिकॉर्ड की गई वीडियो क्लिप्स डिलीट करवा दी गईं।
निजी चैनल से जुड़ी रिपोर्टर आफरीन बानो ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “यह सिर्फ एक मजार नहीं, बल्कि लोकतंत्र की पत्रकारिता पर हमला है।”
वरिष्ठ पत्रकारों की राय बंटी
वहीं हरिद्वार के वरिष्ठ पत्रकारो ने प्रशासन की कार्रवाई को “विधिसम्मत और साहसी” बताया। उन्होंने कहा, “सरकारी ज़मीन पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण हटाना प्रशासन का संवैधानिक दायित्व है।”
एसडीएम बोले– ‘कानून के तहत हो रही कार्रवाई’
हरिद्वार के एसडीएम अजय वीर सिंह ने बताया कि जिले में अब तक 12 अवैध मजारें हटाई जा चुकी हैं और 10 मदरसों को सील किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अभियान किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि सरकारी ज़मीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए चलाया जा रहा है।
प्रशासन ने जनता से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा, “यह कार्रवाई पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए की गई है और आगे भी जारी रहेगी।”
सेवादार ने लगाए गंभीर आरोप
मजार के सेवादार फरीन ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, “जॉर्ज कंट्री के मालिक यू.सी. जैन के इशारे पर प्रशासन ने हमारी मजार को बिना नोटिस के गिरा दिया। मजार का सारा सामान भी जब्त कर लिया गया।”
बहस का विषय बनी मीडिया कवरेज पर रोक
इस पूरी घटना में एक सवाल जो सबसे ज़्यादा चर्चा में है, वो है—मीडिया की निष्पक्ष कवरेज पर लगाई गई रोक। कई पत्रकार संगठनों और सामाजिक समूहों ने इस कदम की आलोचना करते हुए प्रशासन से पारदर्शिता की मांग की है।
फिलहाल हालात शांत, लेकिन बहस गर्म
प्रशासन ने हरिद्वार में स्थिति सामान्य होने की बात कही है, लेकिन यह घटना निश्चित रूप से प्रशासन और मीडिया के बीच पारदर्शिता व अधिकारों को लेकर नई बहस को जन्म दे गई है।